बंगाल के गवर्नर 1757-1773
1757 में प्लासी के युद्ध से ही ब्रिटिश ईस्ट इंडिया की कंपनी का राजनैतिक हस्तक्षेप माना जाता हैं ,
1773 के रेगुलेटिंग एक्ट से पहले गवर्नर जनरल नही केवल गवर्नर कहलाता था और शासन बंगाल पर था तो बंगाल का गवर्नर कहलता था !
इसलिए हम 1757 से 1773 तक पढेगे, 1773 के रेगुलेटिंग एक्ट के तहत गवर्नर का स्थान गवर्नर जनरल ले लेता हैं , फिर 1833 के चार्टर एक्ट में यही बंगाल का गवर्नर जनरल भारत का गवर्नर जनरल कहलायेगा !
लॉर्ड क्लाइव(1757-1760),(1765-1767)
lord clive |
क्लाइव की समस्याएँ
राजनितिक समस्या:- जब क्लाइव दुबारा आया तब उसे पता चला कि पुराने गवर्नर वाँसीटार्ट ने अवध का राज्य मुगल बादशाह को वापस दे देने का वादा किया है!जब क्लाइव को यह पता चला तो उसने अवध के नवाब को प्रस्ताव भेजा पचास लाख रूपए कंपनी को देना स्वीकार करे तो इलाहाबाद प्रांत को छोड़कर उसकी रियासत उसे वापस कर दी जाएगी।और उसके बाद इलाहाबाद मुगल बादशाह को देकर उसके बदले क्लाइव ने बंगाल की दीवानी माँगी
प्रशासकीय समस्या:- क्लाइव ने बंगाल पहुंचते ही समस्त सिविल और फौजी अफसरों कम्पनी के अधिकारीयों से एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर कराए, जिससे भेंट लेना प्रतिबंधित कर दिया गया ! भत्ते के संबंध में नए कानून बनाए थे इस कानून के अनुसार सैनिक अफसरों को बंगाल और बिहार में उसी समय भत्ता मिल सकता था जब वे छावनी से बाहर हों।इसके बाद अंग्रेजो ने विद्रोह कर दिया जिसे श्वेत विद्रोह कहा गया
क्लाइव के बारे में कथन
बर्क ने क्लाइव को “ बड़ी बड़ी नीवें रखने वाला कहा हैं”
प्रसीवल स्पीयर ने क्लाइव को “भविष्य का अग्रदूत कहा हैं “
क्लाइव के अंतिम दिन
इंग्लैंड जाने पर उनके ऊपर भ्रष्टाचार का मुकदमा चला, किंतु उससे वह बरी कर दिया गया
और अंतिम में इन्होने आत्म हत्या कर दी
वैनसिटार्ट (1760 – 1764)
क्लाइव को 1760 में वापस बुला लिया गया इसकी जगह बंगाल का गवर्नर हेनरी वैनसिटार्ट को बनाया गयाइसका कार्यकाल 1760 से 1764 तक रहा जिस बीच अक्टूबर 1764 में बक्सर का युद्ध हुआ था हेक्टर मुनरो vs मीर कासिम,शाहालम और ,सुजाऊदौला के बीच में
बक्सर के युद्ध के तुरंत बाद वाँसीटार्ट को पद से हटा दिया था और 1765 में वापस गवर्नर के पद पर लॉर्ड क्लाइव(1765-1767) आ गया !