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Tuesday 14 May 2019

प्रमुख आयोग और समितियां PDF Download

May 14, 2019 1

1. राज समिति – कृषि जोतकर
2. भगवती समिति – बेरोजगारी
3. दंतेवाला समिति – बेरोजगारी के अनुमान
4. सुखमय चक्रवर्ती समिति – मौद्रिक प्रणालीपर पुनर्विचार

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5. वैद्यनाथन समिति – सिंचाई के पानी
6. दत्त समिति – औद्योगिक लाइसेंसिंग
7. राजा चेलैया समिति – कर-सुधार
8. चेलैया समिति – काला धन की समाप्ति ( Eradicating Black Money)
9. नरेशचन्द्र समिति – कॉर्पोरेट गवर्नेंस
10. बलवन्त राय मेहता समिति – विकेन्द्रीकरण के लिए सुझाव
11. ज्योति बसु समिति – ऑक्ट्रॉई समाप्ति पर रिपोर्ट
12. मल्होत्रा समिति – बीमा क्षेत्र के सुधार
13. सेन गुप्ता समिति – शिक्षित बेरोजगारी
14. डॉ. विजय केलकर समिति – प्राकृतिक गैस मूल्य
15. शंकरलाल गुरु समिति – कृषि विपणन
16. के. एन. काबरा समिति – फ्यूचर ट्रेडिंग
17. चक्रवर्ती समिति- 2 – बैंकिंग क्षेत्र सुधार
18. एन. के. सिंह समिति – विद्युत क्षेत्र में सुधार
19. सुशील कुमार समिति – बीटी कपास की खेती की समीक्षा
20. केलकर समिति- 2 – प्रत्यक्ष तथा परोक्ष करारोपण
21. राजिन्दर सच्चर समिति- 1 – कम्पनीज एण्ड MRPT एक्ट
22. रंगराजन समिति- 3 – निजी क्षेत्र में सुधार
23. केलकर समिति – पिछड़ी जातियों पर पहली समिति
24. मण्डल कमीशन – पिछड़ी जातियों के लिए सीटों का आरक्षण
25. कोठारी कमीशन – शैक्षिक सुधार ( Educational Reforms)
26. आबिद हुसैन समिति – छोटे पैमाने के उद्योगों के सुझाव हेतु
27. नरसिंहम समिति – बैंकिंग सुधार
28. तेंदुलकर समिति – निर्धनता रेखा के आकलन हेतु
29. हजारी समिति ( 1967) – औद्योगिक नीति
30. पी. सी. अलेक्जेण्डर समिति ( 1978) – आयात-निर्यात नीतियों का उदारीकरण
31. तिवारी समिति ( 1984) – औद्योगिक रुग्णता
32. चक्रवर्ती कमेटी ( 1985) – मौद्रिक पद्धति के कार्यों की समीक्षा
33. रंगराजन समिति ( 1991) – भुगतान सन्तुलन
34. गोस्वामी समिति ( 1993) – औद्योगिक रुग्णता
35. नन्जुन्दप्पा समिति ( 1993) – रेलवे किराए भाड़े
36. स्वामीनाथन समिति ( 1994) – जनसंख्या नीति
37. भण्डारी समिति ( 1994) – क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की पुनर्सरचना
38. के. आर. वेणुगोपाल समिति ( 1994) – सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत् केन्द्रीय निर्गम मूल्य निर्धारण
39. एम. जी. जोशी समिति ( 1994) – दूरसंचार में निजी क्षेत्रत्र के प्रवेश सम्बन्धी दिशा-निर्देश
40. ज्ञान प्रकाश समिति ( 1994) – चीनी घोटाला
41. बी.एन. युगांधर समिति ( 1995) – राष्ट्रीय सामाजिक सहायता योजना
42. सुन्दर राजन समिति ( 1995) – ( खनिज) तेल क्षेत्र में सुधार
43. डी. के. गुप्ता समिति ( 1995) – दूरसंचार विभाग की पुनर्संरचना
44. राकेश मोहन समिति ( 1995) – आधारिक संरचना वित्तीयन
45. मालेगाँव समिति ( 1995) – प्राथमिक पूँजी बाजार
46. सोधानी समिति ( 1995) – विदेशी मुद्रा बाजार
47. ओ. पी. सोधानी विशेषज्ञ दल ( 1995) – विदेशी विनिमय बाजार का विकास
48. पिन्टो समिति ( 1997) – नौवहन उद्योग
49. चंद्रात्रे समिति ( 1997) – शेयर व प्रतिभूतियों की स्टॉक एक्सचेंजों में डीलिस्टिंग
50. अजीत कुमार समिति ( 1997) – सेना के वेतनों की विसंगतियाँ
51. सी. बी. भावे समिति ( 1997) – कम्पनियों द्वारा सूचनाएं प्रस्तुत करना
52. एस. एस. तारापोर समिति ( 1997) – पूँजी खाते की परिवर्तनशीलता
53. महाजन समिति (मार्च 1997) – चीनी उद्योग
54. आर. वी. गुप्ता समिति (दिसम्बर 1997) – कृषि साख
55. एस. एन. खान समिति ( 1998) – वित्तीय संस्थायों तथा बैंकों की भूमिका में समन्वय
56. एन. एस. वर्मा समिति ( 1999) – वाणिज्यिक बैंकों की पुनर्संरचना
57. दवे समिति ( 2000) – असंगठित क्षेत्र के लिए पेंशन की सिफारिश
58. तारापोर समिति (जुलाई 2001) – यू.टी.आई. के शेयर सौदों की जाँच
59. वाई वी. रेड्डी समिति (अक्टूबर 2001) – आयकर छूटों की समीक्षा
60. माशेलकर समिति (जनवरी 2002) – ऑटो फ्यूल नीति
61. मालेशकर समिति (अगस्त 2003 में रिपोर्ट) – नकली दवाओं का उत्पादन
62. सप्तऋषि समिति (जुलाई 2002) – स्वदेशी चाय उद्योग के विकास हेतु
63. अभिजीत सेन समिति (जुलाई 2002) – दीर्घकालीन अनाज नीति
64. एन. आर. नारायण मूर्ति समिति ( 2003) – कार्पोरेट गवर्नेंस
65. वी.एस. व्यास समिति (दिसम्बर 2003) – कृषि एवं ग्रामीण साख विस्तार
66. विजय केलकर समिति- 3 ( मार्च 2004) – फिस्कल रेस्पोन्सिबिलिटी एण्ड बजट मैनेजमेन्ट एक्ट के अनुसार अर्थव्यवस्था की त्रैमासिक समीक्षा
67. लाहिड़ी समिति ( 2005) – खाद्य तेलों के मूल्यों पर प्रशुल्क संरचना सम्बन्धी सिफारिश करना
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International Bank for Reconstruction and Development-IBRD

May 14, 2019 0

पुनर्निर्माण और विकास के लिये अंतर्राष्ट्रीय बैंक International Bank for Reconstruction and Development-IBRD
विश्व बैंक समूह में शामिल संस्थान हैं


IBRD की स्थापना वर्ष 1945 में हुई थी और वर्तमान में इसके 188 सदस्य हैं।

IBRD का उद्देश्य मध्यम विकास वाले देशों और ऋणग्रस्त गरीब देशों में ऋण, गारंटी और गैर-उधार सेवाओं के माध्यम से सतत् विकास को बढ़ावा देना है,

जिसमें विश्लेषणात्मक और सलाहकार सेवाएँ शामिल हैं।

IBRD उन सदस्य देशों के स्वामित्व में है जिनकी मतदान शक्ति देश की सापेक्ष आर्थिक शक्ति के आधार पर इसकी पूंजी सदस्यता से जुड़ी हुई है।

IBRD दुनिया के वित्तीय बाज़ारों से अपना अधिकांश धन जुटाता है और वर्ष 1959 से इसने AAA रेटिंग बनाए रखी है।

IBRD और IDA मिलकर विश्व बैंक का स्वरूप लेते हैं, जो विकासशील देशों की सरकारों को वित्तपोषण, नीति सलाह और तकनीकी सहायता प्रदान करता है।

यह विश्व बैंक के परिचालन खर्चों को वहन करता है तथा बेहद गरीब देशों के लिये IDA को धन प्रदान करता है

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Saturday 23 February 2019

Current Gk 23/02/2019 For UPSC / PCS /SSC /Govt Exams

February 23, 2019 0

'अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

इसकी थीम है- 'सतत् विकास हेतु भाषायी विविधता और बहुभाषावाद मायने रखता है।'
यह बांग्लादेश की एक पहल है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

केवल 1
केवल 2
1 और 2 दोनों
न तो 1 और न ही 2
उत्तर: (b)
व्याख्या:

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने का विचार बांग्लादेश की पहल थी। इसे 1999 के यूनेस्को के सम्मेलन में अनुमोदित किया गया था और 2000 के बाद से दुनिया भर में मनाया जाने लगा। अतः कथन 2 सही है।
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 2019 की थीम है-
♦ ‘विकास, शांति और सामंजस्य हेतु स्वदेशी भाषाएँ मायने रखती हैं।’

अतः कथन 1 सही नहीं है।
गीत गोविंद की रचना की थी:

बाणभट
तुलसीदास
सूरदास
जयदेव
उत्तर: (d)
व्याख्या:

गीत गोविंद भक्ति आंदोलन के दौरान की एक महत्त्वपूर्ण रचना है जिसे 12वीं शताब्दी में जयदेव द्वारा लिखा गया था। अतः विकल्प (d) सही है।
'एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज़ लिमिटेड (Energy Efficiency Services Limited) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये :

यह नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के तत्त्वावधान में है।
यह उजाला योजना लागू कर रहा है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

केवल 1
केवल 2
1 और 2 दोनों
न तो 1 और न ही 2
उत्तर: (b)
व्याख्या:

एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (EESL), चार राष्ट्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों- NTPC Limited, PFC, REC और POWERGRID का एक संयुक्त उद्यम है। इसे विद्युत् मंत्रालय के तहत स्थापित किया गया है। अतः कथन 1 सही नहीं है।
EESL का उद्देश्य कुशल और परिवर्तनकारी समाधानों हेतु बाज़ार तक पहुँच बनाना है जो प्रत्येक हितधारक के लिये लाभदायक स्थिति पैदा करता है।
EESL ने UJALA योजना के तहत 29 करोड़ से अधिक LED बल्ब वितरित किये हैं और आत्मनिर्भर वाणिज्यिक मॉडल के माध्यम से भारत भर में 50 लाख LED स्ट्रीटलाइटों को रेट्रोफिट किया है। अतः कथन 2 सही है।
सिंधु जल संधि के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

सिंधु, झेलम और चिनाब का पानी भारत को आवंटित किया गया था।
पोंग बांध सतलज नदी पर बना है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

केवल 1
केवल 2
1 और 2 दोनों
न तो 1 न ही 2
उत्तर: (d)
व्याख्या:

1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि के तहत तीनों नदियों- रावी, सतलज और ब्यास (पूर्वी नदियों) का सारा पानी केवल भारत को आवंटित किया गया था।
जबकि पश्चिमी नदियों- सिंधु, झेलम और चिनाब का पानी पाकिस्तान को आवंटित किया गया था। इस पानी का इस्तेमाल भारत केवल निर्दिष्ट घरेलू, गैर-उपभोग्य और कृषि उपयोग के लिये कर सकता था, जैसा कि संधि में निहित है। अतः कथन 1 सही नहीं है।
पूर्वी नदियों के पानी के उपयोग पर भारत का एकाधिकार है और भारत ने इन पर निम्नलिखित बांधों का निर्माण किया है:
♦ सतलज नदी पर भाखड़ा बांध
♦ ब्यास नदी पर पोंग और पंडोह बांध,
♦ रावी नदी पर थीन (रणजीत सागर) बांध

अतः कथन 2 सही नहीं है।

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (Non-Banking Financial Company-NBFC) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये :

यह मांग जमा स्वीकार कर सकती है।
यह RBI अधिनियम की धारा-7 के तहत एक पंजीकृत कंपनी है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

केवल 1
केवल 2
1 और 2 दोनों
न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (d)
व्याख्या -

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (Non-Banking Financial Company-NBFC), कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत पंजीकृत कंपनी होती है जो सरकार या स्थानीय प्राधिकरण द्वारा जारी किये जाने वाले ऋण/शेयरों/बांड/डिबेंचर/प्रतिभूतियों या अन्य बिक्री योग्य प्रतिभूतियों के अधिग्रहण से संबंधित हैं। अतः कथन 2 सही नहीं है।
NBFC मांग जमा स्वीकार नहीं कर सकती है। अतः कथन 1 सही नहीं है।
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Friday 22 February 2019

Current Gk 22/02/2019 For UPSC / PCS /SSC /Govt Exams

February 22, 2019 0
उत्तर व्याख्या सहित अंतिम में दिए गये हैं


1. आसियान (ASEAN) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये?

(i) दक्षिण कोरिया आसियान के 10 सदस्य देशों में से एक है।
(ii) आसियान का मुख्यालय जकार्ता, इंडोनेशिया में है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

केवल 1
केवल 2
1 और 2 दोनों
न तो 1 और न ही 2


2.क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये?

(i) भारत RCEP में भाग लेने वाले देशों में से एक है।
(ii)विश्व व्यापार संगठन के तत्त्वधान में RCEP की परिकल्पना की जा रही है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

केवल 1
केवल 2
1 और 2 दोनों
न तो 1 और न ही 2


3.संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

(i)UNSC के निर्णय संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राज्यों पर बाध्यकारी हैं।
(ii)भारत ने कभी भी UNSC के सदस्य के रूप में कार्य नहीं किया है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

केवल 1
केवल 2
1 और 2 दोनों
न तो 1 और न ही 2


4.विश्व आर्थिक स्थिति और संभावनाएँ (World Economic Situation and Prospects-WESP) रिपोर्ट जारी करता है ?

अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक कोष (IMF)
संयुक्त राष्ट्र (UN)
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP)
उपर्युक्त में से कोई नहीं


5.भारत नेट के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये?

(i)यह ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड से जोड़ने का एक प्रमुख मिशन है।
(ii)यह परियोजना यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (USOF) द्वारा वित्तपोषित है।

उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सही है/हैं?

केवल 1
केवल 2
1 और 2 दोनों
न तो 1 और न ही 2


Answer
1.उत्तर : (b)
व्याख्या:
दक्षिण कोरिया आसियान का सदस्य नहीं है। आसियान के 10 सदस्य देशों के नाम इस प्रकार हैं : इंडोनेशिया, थाईलैंड, मलेशिया, सिंगापुर, फिलीपींस, वियतनाम, म्याँमार, कंबोडिया, लाओस और ब्रुनेई। अतः कथन 1 सही नहीं है।
आसियान का मुख्यालय इंडोनेशिया के जकार्ता में है। इसके राज्य-सचिव प्रत्येक देश की राजधानी में रहते हैं। आसियान के महासचिव का पद प्रत्येक दो वर्षों के बाद सदस्य देश को वर्णानुक्रम के अनुसार प्रदान किया जाता है। अतः कथन 2 सही है।




2.उत्तर: (a)
व्याख्या:
इसके सदस्यों में 16 देश शामिल हैं जिसमें 10 आसियान देश हैं तथा छह आसियान FTA भागीदार भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड हैं। अतः कथन 1 सही है।
आरसीईपी एक वृहत-क्षेत्रीय मुक्त व्यापार समझौता है जो 16 देशों को शामिल करता है। इसका उद्देश्य वस्तुओं, सेवाओं, निवेश, आर्थिक और तकनीकी सहयोग, प्रतिस्पर्द्धा तथा बौद्धिक संपदा अधिकारों को कवर करना है, जबकि, विश्व व्यापार संगठन (WTO) राष्ट्रों के बीच व्यापार के वैश्विक नियमों से संबंधित है। WTO और RCEP एक-दूसरे से स्वतंत्र हैं। अतः कथन 2 सही नहीं है।



3.उत्तर : (a)
व्याख्या:
संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य सुरक्षा परिषद के फैसलों को स्वीकार करने और उन्हें लागू करने के लिये अपनी सहमति व्यक्त करते हैं। अतः कथन 1 सही है।
भारत 7 बार अर्थात् 1950-51, 1967-68, 1972-73, 1977-78, 1984-85, 1991-92 और 2011-12 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य रह चुका है। अतः कथन 2 सही नहीं है।


4.उत्तर - (b)
व्याख्या -
यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा जारी की जाती है।
संयुक्त राष्ट्र की विश्व आर्थिक स्थिति एवं संभावनाएँ (UN's World Economic Situation and Prospects-WESP) 2019 के अनुसार, 2019 के साथ-साथ 2020 में भी भारत की अर्थव्यस्था दुनिया की सबसे बड़ी तथा तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनी रहेगी। अतः विकल्प (b) सही है।


5.उत्तर: (c)
व्याख्या -
भारतनेट एक प्रमुख अभियान है, जिसमें 250,000 ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड से जोड़ा जा रहा है। इसे भारत ब्राडबैंड नेटवर्क लिमिटेड (BBNL) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है, जो फरवरी 2012 में DoT के तहत स्थापित एक स्पेशल पर्पज़ व्हीकल है। अतः कथन 1 सही है।
यह परियोजना यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (Universal Service Obligation Fund-USOF) द्वारा वित्तपोषित है। दूरसंचार सेवाओं में सुधार के उद्देश्य से इस वित्तकोष की स्थापना की गई थी। अतः कथन 2 सही है।
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Friday 15 February 2019

संविधान के 22 भाग Indian Constitution 22 Parts

February 15, 2019 0
भारत का संविधान 22 भाग Download PDF



भागनाम अनुच्छेद
भाग 1संघ एंव राज्य क्षेत्र1 से 4
भाग 2नागरिकता5 से 11
भाग 3मौलिक अधिकार12 से 35
भाग 4निति निदेशक तत्व36 से 51
भाग 4कमूल कर्तव्य51क
भाग 5संघ सरकार52 से 151
 कार्यपालिका (52-78) 
 व्यवस्थापिका (79-122) 
 राष्ट्रपति की शक्तियाँ (123) 
 न्यायपालिका (124-147) 
 CAG(148-151) 
भाग 6राज्य सरकार152 से 237
 परिभाषा (152) 
 कार्यपालिका (153-167) 
 राज्य विधानमण्डल (168 -212) 
 राज्यपाल की शक्तियाँ (213) 
 राज्यों का उच्च न्यायालय (214-232) 
 अधीनस्थ न्यायालय(233-237) 
भाग 7राज्यों का पुनर्गठन (7वें संविधान संसोधन 1956 के द्वारा इसे हटाया गया238
भाग 8संघ शासित प्रदेश239 से 242
भाग 9पंचायते243 से 243ण
भाग 9कनगरपालिकाएं243त से 243यछ
भाग 9खसहकारी समितियां 
भाग 10अनुसूचित और जनजातिय क्षेत्र244 से 244क
भाग 11संघ व राज्यों के बीच संबन्ध245 से 263
 विधायी संबन्ध (245-255) 
 प्रशासनिक संबंध (256-263) 
भाग 12वित संपंति संविदाएं और वाद264 से 300ए
 वित (264-291) 
 ऋण लेना (292-293) 
 संविदाएं एंव अधिकार और वाद(294-300) 
 संपति का अधिकार (300क -300ए) 
भाग 13भारत के राज्य क्षेत्र में व्यापार व वाणिज्य301से 307
भाग 14संघ और राज्यों के अधिन सेंवाएं308 से 323
 प्रशासनिक सेवाएं(308-314) 
 लोक सेवा आयोग(315-323) 
भाग 14कअधिकरण323क से 323ख
भाग 15निर्वाचन324 से 329क
भाग 16विशेष प्रावधान330 से 342
भाग 17राजभाषा343 से 351
 संघ की भाषा (343-344) 
 प्रदेशों की भाषा (345-347) 
 न्यायालयों की भाषा(348-349) 
 विशेष निदेश (350-351) 
भाग 18आपात के उपबंध352 से 360
भाग 19प्रकीर्ण ( कई तरह के मिश्रित उपबंध361 से 367
भाग 20संविधान संसोधन368
भाग 21अस्थायी और विशेष उपबंध369 से 392
भाग 22संक्षिप्त नाम,हिन्दी मे दिये हुए पाठ और निरसन393 से 395
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Wednesday 13 February 2019

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 63 से 78

February 13, 2019 0

अनुच्छेद 63 से 78 राष्ट्रपति , उपराष्ट्रपति व मंत्रिपरिषद


अनुच्छेद
प्रावधान
52
भारत का एक राष्ट्रपति होगा
53
संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित होगी
54
राष्ट्रपति का निर्वाचक मंडल
55
राष्ट्रपति की निर्वाचन पद्धति
56
राष्ट्रपति की पदावधि
57
राष्ट्रपति का पद का पुनर्निर्वाचन
58
राष्ट्रपति पद की शेव शर्ते
59
राष्ट्रपति पद के लिए योग्यता
60
राष्ट्रपति पद के लिए शपथ
61
राष्ट्रपति पद के लिए महाभियोग
62
राष्ट्रपति पद की रिक्ति
63
भारत का उपराष्ट्रपति
64
उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पड़ें सभापति होगा
65
राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेगा
66
राष्ट्रपति पद का निर्वाचन व योग्यता
67
राष्ट्रपति की पदावधि
68
राष्ट्रपति पद रिक्ति
69
राष्ट्रपति पद की शपथ
70
अन्य  आकस्मिकताओं में राष्ट्रपति कार्यों का निर्वहन
71
राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति के निर्वाचन संबधी विवाद सुप्रीम कोर्ट हल करेगा
72
राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्तियां
73
संघ की कार्यपालिका शक्तियों में विस्तार
74
राष्ट्रपति को सहायता के लिए मन्त्रिपरिषद होगी जिसका प्रधान  PM होगा राष्ट्रपति इस मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करेगा , और राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह को एक बार पुनर्विचार के लिए भेज सकता हैं
75
राष्ट्रपति लोकसभा में बहुमत दल के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करेगा
76
भारत का महान्यायवादी
77
संघ सरकार के सभी कार्य राष्ट्रपति के नाम से किये जायेगे ,राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद के बिच जिन विभागों का बंटवारा प्रधानंत्री ने किया हैं उन विभागों के लिए कार्य आंवटन के नियम बनायेंगे
78
राष्ट्रपति प्रधानमंत्री से देश की शासन व्यवस्थातथा विधि निर्माण  के संदर्भ में जानकारी प्राप्त कर सकता हैं और राष्ट्रपति प्रधानमंत्री को किसी भी संदर्भ में मंत्रिपरिषद में चर्चा करवाने के लिए कह सकते हैं





















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Tuesday 12 February 2019

भारतीय संविधान की प्रस्तावना

February 12, 2019 0

प्रस्तावना


हम भारत के लोग भारत को एक सम्पुर्णप्रभुत्वसम्पन्न, समाजवादी ,पंथनिरपेक्ष ,लोकतन्त्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए
तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक,आर्थिक और राजनैतिक न्याय
विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतन्त्रता
प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए
तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमां और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करने
वाली बन्धुता बढाने के लिए दृढ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में
आज तारिख 26 जनवरी 1949 ईस्वी (मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमीं संवत् 2006 विक्रमी)
को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगिकृत ,अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं!

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भारतीय संविधान अनुच्छेद 52 से 62 Indian Constitution राष्ट्रपति

February 12, 2019 0

अनुच्छेद 52 से 62 राष्ट्रपति



अनुच्छेद 52: भारत का एक राष्ट्रपति होगा !

अनुच्छेद 53: संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित होगी !

अनुच्छेद 54: राष्ट्रपति का निर्वाचन मंडल !

अनुच्छेद 55: राष्ट्रपति की निर्वाचन पद्धति !

अनुच्छेद 56: राष्ट्रपति की पदावधि !

अनुच्छेद 57: राष्ट्रपति का पुनर्निर्वाचन !

अनुच्छेद 58: राष्ट्रपति पद के लिए योग्यता!

अनुच्छेद 59: राष्ट्रपति पद के लिए सेवा शर्ते !

अनुच्छेद 60: राष्ट्रपति पद के लिए शपथ !

अनुच्छेद 61: राष्ट्रपति के लिए महाभियोग लाना !

अनुच्छेद 62: राष्ट्रपति पद की आकस्मिक रिक्ति पर !

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Monday 11 February 2019

1909 का भारत शासन अधिनियम

February 11, 2019 0

1909 का मार्ले-मिन्टो सुधार अधिनियम

इस अधिनियम को मार्ले-मिन्टो सुधर अधिनियम भी कहा जाता हैं !
क्योंकि उस समय मार्ले भारत सचिव था !
और
मिन्टो तत्कालीन भारत का वायसराय था,
इसलिए इस अधिनियम को मार्ले-मिंटो सुधार अधिनियम कहा जाता हैं !

इस अधिनियम मुख्य रूप से 6 प्रावधान थे !
1. इस अधिनियम के तहत केन्द्रीय और प्रांतीय विधानपरिषद में काफी वृद्धि की गयी केन्द्रीय परिषद् में विधान परिषदों की संख्या 16 से 60 कर दी गयी !
2. इस अधिनियम के तहत विधान परिषदों की शक्तियों में वृद्धि की गयी अब सदस्यों को वार्षिक बजट पर बहस के साथ साथ अपने विचार रख सकते थे प्रस्ताव प्रस्तुत कर सकते थे प्रश्न पूछ सकते थे!
3. इस अधिनियम के तहत पहली बार भारतियों को वायसराय की कार्यपालिका परिषद् में शामिल किया गया सत्येन्द्र प्रसाद सिन्हा वायसराय की कार्यपालिका के प्रथम भारतीय सदस्य बने!
4. इस अधिनियम के तहत साम्प्रदायिक निर्वाचन की नीव रखी जाती हैं मुस्लिम सदस्यों का चुनाव मुस्लिम मतदाता हि करेगे लार्ड मिन्टो को साम्प्रदायिक निर्वाचन का जनक माना जाता हैं



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Monday 4 February 2019

1892 के भारत शासन अधिनियम 1892 act in hindi

February 04, 2019 0
1892 के भारत शासन अधिनियम में मुख्य तीन प्रावधान थे
1.अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली की शुरुआत
2.विधान परिषद् के कार्यों में वृद्धि की गयी बजट पर बहस होना प्रारंभ हो गयी
3.इसमें केन्द्रीय विधानपरिषद में भारतीयों की संख्या कम से कम 10 होगी और अधिकतम 16 होगी !

कथन :- सुरेन्द्रनाथ बनर्जी ने कहा था की इस अधिनियम के द्वारा भारत में संसदीय शासन प्रणाली की शुरुआत मानी जाएगी

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Wednesday 30 January 2019

bharat ka bhugol भारत के भौतिक प्रदेश Physical territory of india

January 30, 2019 0

भौतिक प्रदेश अर्थात जहां हम रह रहे हैं स्थलमंडल पर तो यहाँ उपस्थित पर्वत ,पहाड़ , पठार ,वन ,वनस्पति आदि का किसी क्षेत्र विशेष मे अध्यन
भौतिक दृष्टि से भारत को मुख्य रूप से 6 भागो में बांटा गया हैं

महान हिमालय
उत्तर का विशाल मैदान
प्रायद्वीपीय पठार 
तटीय मैदान 
भारत का मरुस्थल  
द्वीप समूह 

महान हिमालय

भारत के उत्तर में हिमालय की पर्वतमाला नए और मोड़दार पहाड़ों से बनी है। यह पर्वतश्रेणी कश्मीर से अरुणाचल तक लगभग 2500 KM तक फैली हुई है!
हिमालय की चौड़ाई 200 से 400 km हैं
हिमालय में मुख्य 3 पहाड़िया हैं
1.हिमालय पर्वत श्रेणी
2.ट्रांस हिमालय
3.पूर्वांचल की पहाड़िया

हिमालय पर्वत श्रेणी
हिमालय की पर्वत श्रेणियों को भी तीन भागो में बांटा गया है
1.वृहद् हिमालय या हिमाद्री
2.निम्न हिमालय  या हिमाचल हिमालय
3.शिवालिक हिमालय

1.वृहद् हिमालय या हिमाद्री
इसकी औसत ऊँचाई 4900मी० है यह हिमालय के तीनो भाग में सबसे ऊँचा है! माउंट एवरेस्ट इसी भाग में स्थित है!
माउंट एवरेस्ट, नेपाल में हैं जिसकी ऊँचाई 8850 मी० हैं भारत में इसकी सबसे ऊँची चोटी कंचनजंघा,( सिक्किम) हैं
जिसकी ऊँचाई 8586 मी० हैं हिमाद्री हिमालय ज़्यादातर बर्फ से ढँका होता है
हिमाद्रि के अंचल में, धौलगिरी, नंगा पर्वत, नंदादेवी, अन्नपूर्णा जैसे ऊँचे ऊँचे पर्वत हैं।
इस भाग में प्रमुख दर्रे जोजिला, कारा कोरम, नाथुला आदि हैं

2.निम्न हिमालय  या हिमाचल हिमालय
इसकी औसत ऊँचाई 3600 से 4600 मी० तक है तथा
इसकी चौड़ाई 60 से 80 किमी० तक है!
टूरिस्ट सेंटर- शिमला, मंसूरी, नैनीताल इसी रेंज में स्थित है
हिमांचल पर्वत श्रेणी में ही कांगड़ा और कुल्लू प्रसिद्ध घाटिया हैं!


3.शिवालिक हिमालय
हिमालय का सबसे दक्षिणी भाग इसे शिवालिक भी कहते है! इसकी औसत ऊँचाई 900 से 1500 मी० है!

ट्रांस हिमालय
यह महान हिमालय के उत्तर में और तिब्बत के दक्षिण में स्थित है.
इसमें कराकोरम, लद्दाख, जास्कर, और कैलाश पर्वत श्रेणियां प्रमुख है.
ट्रांस हिमालय में भारत कि सबसे ऊँची और विश्व कि दूसरी सबसे ऊँची चोटी गोडविन ऑस्टिन (K-2) 8622 मी. हैं जो कराकोरम श्रेणी में स्थित है.
सिन्धु, सतलुज, और ब्रम्हपुत्र इस श्रेणी कि प्रमुख नदियाँ है.
भारत का सबसे बड़ा हिमनद "बाल्टेरों" इसी में स्थित है.


पूर्वांचल की पहाड़िया
यह भारत-म्यांमार सीमा पर उत्तर से दक्षिण अर्ध-चंद्रकार रूप में विस्तृत है. इस श्रेणी में नागा, पटकोई, और लुसाई पहाड़ियां प्रमुख है.

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Monday 28 January 2019

Adhunik Bharat ka itihas यूरोपीय कम्पनियों का आगमन पुर्तगीज(पुर्तगाली)

January 28, 2019

यूरोपीय कम्पनियों का आगमन पुर्तगीज(पुर्तगाली) adhunik Bharat ka itihas


मुख्य मार्ग : 1 फारस की खाड़ी से इराक -} तुर्की -} भूमध्य सागर -} वेनिस (इटली ) स्विज़रलैंड (जेनेवा)
2. लाल सागर -} मिस्र -} भूमध्यसागर –} वेनिस (इटली ) स्विज़रलैंड (जेनेवा)
3.उतरी पच्छिमी सीमा प्रान्त -} रूस -} बाल्टिक सागर -} जर्मनी और यूरोपीय देश

व्यापर की स्थिति
एशियाई व्यापर अरबवासियों के हाथो में
यूरोपीय व्यापर इतालियो के हाथो में था

1450 के बाद तुर्कों का कुस्तुन्तुनिया पर अधिकार हो गया था तो पूर्व में जाने के लिए जो फारस की खाड़ी और लाल सागर वाले मार्ग थे यूरोपियो के लिए बंद हो गए थे इसलिए यूरोप के व्यापरियों को जरुरत थी नए मार्ग की जो सुरक्षित हो उस समय स्पेन और पुर्तगाल नए नए राष्ट्र बने थे इन्होने विज्ञानं तकनिकी में विकास किया
तत्पशत 1494 में कोलम्बस नाम के स्पेन व्यापारी ने भारत को खोजने के चक्कर में अमेरिका को खोज निकाला
फिर 1498 में कोवास्कोडिगामा ने उतमासा अंतरिम का चक्कर लगाते हुए भारत को खोजा
यूरोप वासियों का आने का कारण
गर्म मसालों का व्यापर करना और आर्थिक लाभ लेना
और उस समय पूर्वी राष्ट्र बहुत धनि होते थे खासकर भारत और इंडोनेसिया

यूरोपीय कम्पनियों का आगमन पुर्तगीज(पुर्तगाली)

पुर्तगीज सर्वप्रथम भारत आये
पुर्तगीज उतमासा अंतरीप से होते हुए
पुर्तगीज अब्दुल मनिद की सहायता से भारत आये
पुर्तगीज 17 मई 1498 ई को केरल के कालीकट बन्दरगाह
प्रथम व्यक्ति वास्कोडिगामा भारत आया
जमोरिन द्वारा वास्कोडिगामा का स्वागत किया गया
वास्कोडिगामा प्रथम यात्रा के दौरान मसाले और जड़ी बूटिया ले गया
इस यात्रा द्वारा वास्कोडिगामा को खर्च निकाल कर 60 गुना लाभ हुआ
इस व्यापार के बाद लिस्बन पुरे यूरोपीय व्यापार का केंद्र बन गया था
उस समय पुर्तगाल का शासक मैन्युअल प्रथम था जिसने “वाणिज्य के प्रधान” की उपाधि धारण की
द्वितीय पुर्तगाली अभियान 1500 ई में “पेड्रो अल्व्रेज” के नेतृत्व में
1502 में वास्कोडिगामा पुनः भारत आया
1503 में पुर्तगालियो ने कोचीन में पहली फैक्ट्री लगाई
1505 में कनूर में दूसरी फैक्ट्री
1505 में फ्रांसिस्को डी अल्मीडा(1505-09) प्रथम पुर्तगाली गवर्नर भारत आया
अल्मीडा की निति “ब्लू वाटर पालिसी”
1509 में अल्फ़ान्सो डी अलबुकर्क(1509-15) दूसरा गवर्नर बन कर आया इसी के समय पुर्तगालियो ने गोवा जीता 1510 में
1515 तक पुर्तगाली भारत की सबसे सबल जल शक्ति बन चुके थे we खुद को समुद्र के स्वामी कहते थे
अर्थात उनके पास सामुद्रिक साम्राज्य था जिसे वे “एस्तादो द इंडिया“ कहते थे
1530 में इन्होने अपना कार्यालय कोचीन से गोवा स्थान्तरित क्र दिया तथा गोवा पुर्तगालो की स्थाई राजधानी बन गया इस समय गवर्नर था नीनो डी कुन्हा (1529-38)
भारत के पूर्वी तट पर अधिकार 1534-35 में ही हुआ कुन्हा के समय
1571 में पुर्तगाली एशियाई साम्राज्य के तीन कमान थे
1.अफ्रीका समुद्र पर –मोजाम्बिक के गवर्नर की नियुक्ति
2.भारत और फारस की खाड़ी प्रदेशो के लिए गोवा के गवर्नर की
3.दक्षिण पूर्वी एशियाई देशो के लिए -मल्लका के गवर्नर को सोंपा
पुर्तगालियो का मुख्य हथियार परमिट था
अर्थात समुद्र के रस्ते किसी व्यापारी को गुजरना पड़ता तो पुर्तगालो से परमिट लेना पड़ता था एशिया के व्यापरी बाध्य थे परमिट लेने में
मुगल बादशाह खुद भी सुरत से मोरवा जाने के लिए परमिट लेते थे

पुर्तगाली पतन के कारण

धार्मिक असहिषणुता –भारतीय शक्तियों से शत्रुता
दूसरा कारण चुपके चुपके व्यापर करना
ब्राजील का पता लग गया
और मुख्य कारण दूसरी यूरोपीय कम्पनिया


पुर्तगाली अधिपत्य के परिणाम

धार्मिक परिणाम : धर्म परिवर्तन को बढ़ावा ,गोवा में मन्दिर नष्ट किये ,तथा ईसाई धर्म न्यायालय की स्थापना
आर्थिक परिणाम: जापान के साथ व्यापर शुरू ,पुर्तगीज अमेरिका से तम्बाकू ,आलू और मक्का लाये ,
सामाजिक परिणाम : भारत में पप्रिंटिंग प्रेस (छपाई) की शुरुआत

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भारतीय संविधान अनुच्छेद 36 से 51 Indian Constitution

January 28, 2019
भाग -4 राज्य के निति निदेशक तत्व



अनुच्छेद 36:- राज्य शब्द परिभाषित- राज्य का अर्थ वही हैं जो अनुच्छेद 12 में हैं



अनुच्छेद 37:- निति निदेशक तत्व वाद योग्य नहीं हैं राज्य नीतियाँ बनाते समय इन्हें ध्यान में रखेगा !


अनुच्छेद 38:- राज्य सभी लोगों को सामाजिक आर्थिक राजनितिक न्याय उपलब्ध करवायेगा!


अनुच्छेद 39:- लोक कल्याणकारी नीतियाँ
(a)राज्य सभी स्त्री पुरुषों को आजीविका के लिए सामान अवसर उपलब्ध करवायेगा!
(b)राज्य मानवीय और भौतिक संसाधनों का इस प्रकार वितरण करेगा की सभी लोगों का कल्याण हो!
(c)राज्य राज्य आर्थिक संसाधनों का वितरण इस प्रकार करेगा की उनका केन्द्रीकरण नही हों
(d)समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जायेगा
(e)राज्य स्त्रियों और पुरुषों को ऐसा कार्य नही करने देगा की जो उनके स्वास्थ्य के खिलाफ हो
(f)राज्य बच्चो को ऐसा वातावरण उपलब्ध करवायेगा जिससे उनका व्यक्तित्व का विकास हो


अनुच्छेद 39क: राज्य सभी लोगों को समान न्याय , निशुल्क विधिक सहायता उपलब्ध करवायेगा !


अनुच्छेद 40: राज्य ग्रामपंचायतो का गठन करेगा !


अनुच्छेद 41: राज्य सभी लोगों को काम,शिक्षा, और लोक व्यवस्था उपलब्ध करवायेगा!


अनुच्छेद 42: राज्य सभी लोगो को मानवोचित दशाएं उपलब्ध करवायेगाऔर प्रसूति सहायता उपलब्ध करवायेगा !


अनुच्छेद 43: राज्य सभी लोगों को जीवन निर्वाह योग्य वेतन उपलब्ध करवायेगा !


अनुच्छेद 44: राज्य सामान नागरिक सहिंता की स्थापना करेगा !


अनुच्छेद 45: राज्य 6 वर्ष से कम बालकों के लिए निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध करवायेगा !



अनुच्छेद 46: राज्य अनुसूचित जाती और जनजाति व समाज के दुर्बल वर्ग के लिए शिक्षा की व्यवस्था करेगा !



अनुच्छेद 47: राज्य के प्राथमिक कर्तव्यो का उल्लेख हैं राज्य मादक पदार्थो पर रोक लगाएगा !
(a) राज्य लोगो के जीवन स्तर में सुधार करेगा !
(b) राज्य लोगो के पोषाहार में सुधार करेगा!
(c) राज्य लोगो के स्वास्थ्य में सुधार करेगा!



अनुच्छेद 48: राज्य कृषि व पशुपालन में सुधार हेतु उन्नत तकनिकी का उपयोग करेगा , राज्य पशुओं विशेषकर गौ हत्या पर रोक लगाएगा !


अनुच्छेद 48A: राज्य पर्यावरण का सरंक्षण करेगा व वन और वन्यजीवों की भी रक्षा करेगा!



अनुच्छेद 49: राज्य का कर्तव्य हैं की वो हमारे विरासतों , एतिहासिक स्मारकों और राष्ट्रिय महत्व के स्थानों को सरंक्षण प्रदान करे !



अनुच्छेद 50: राज्य कार्यपालिका व न्यायपालिका को पृथक करेगा !



अनुच्छेद 51: भारत का विदेश निति का आधार
(a) भारत अंतराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा को बढ़ावा देगा
(b)भारत सभी राष्टों के मध्य सम्मानजनक और न्यायसंगत व्यवहार बढ़ावा देगा !
(c)भारत अंतराष्ट्रीय संधि और समझोते की पालना को बढ़ावा देगा !
(d) भारत चाहता हैं अंतराष्ट्रीय विवादों का समाधान मध्यस्था से हो !

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Saturday 26 January 2019

भारतीय संविधान के महत्वपूर्ण अनुच्छेद Constitution important article

January 26, 2019

अनुच्छेद 1 : संघ व राज्य क्षेत्र :- India जो की भारत हैं  राज्यों का संघ होगा ना की राज्यों का समूह

अनुच्छेद 2 : नए राज्यों का प्रवेश : भारत के राज्य क्षेत्र में नए राज्यों का प्रवेश अथवा विदेशी राज्य क्षेत्र को भारत में मिलाना

अनुच्छेद 3 : राज्यों के नाम , स्थान , सीमा , क्षेत्र में परिवर्तन

अनुच्छेद 4 : अनुच्छेद 3 व 4 में परिवर्तन करते समय अनुच्छेद 368 की प्रक्रिया से संसोधन नही करना होगा

अनुच्छेद 5 : संविधान निर्माण के समय भारत की नागरिकता

अनुच्छेद 6 : पाकिस्तान से भारत आने वाले व्यक्ति की नागरिकता

अनुच्छेद 7 : 1 मार्च 1947 के बाद पाकिस्तान गया हो और वापस भारत में रहने के बाद नागरिकता

अनुच्छेद 8 : विदेशो में रह रहे भारतीय मूल के नागरिकों की नागरिकता के संबध में

अनुच्छेद 9 : अपनी इच्छा से विदेशी राज्य की नागरिकता अर्जित करने पर भारत से समाप्त नागरिकता

अनुच्छेद 10 : कब कब नागरिकता के अधिकार बने रहेंगे

अनुच्छेद 11 : संसद को अधिकार नागरिकता के संबध में कानून बनाने का

अनुच्छेद 12 : राज्य शब्द को परिभाषित किया गया हैं

अनुच्छेद 13 : विधि शब्द परिभाषित और मूल अधिकारों के अल्पीकरण करने वाली विधियाँ

अनुच्छेद 14 : विधि के समक्ष समानता विधियों का सामान सरंक्षण

अनुच्छेद 15 : जाती ,मूलवंश, धर्म . रंग और लिंग के आधार पर भेदभाव निषेध

अनुच्छेद 16 : लोक नियोजन के विषय में अवसर की समानता

अनुच्छेद 17 : अश्प्र्यता का अंत

अनुच्छेद 18 : उपाधियों का अंत

अनुच्छेद 19 : 6 प्रकार की स्वतंत्रता

a.भाषण व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
b.सभा करने की स्वतंत्रता
c.संघ व संगठन बनाने की
d.भारत में कहीं पर घुमने फिरने की स्वतंत्रता
eभारत में कहीं पर रहने व निवास करने की स्वतंत्रता
f.भारत के राज्य क्षेत्र में कहीं पर व्यापर करने की स्वतंत्रता

अनुच्छेद 20 :अपराध व दोष सिद्धि के सम्बद्ध में सरंक्षण
a.अपराध के समय जो कानून हो उसी कानून के तहत सजा होगी
b.एक ही अपराध के लिए एक ही सजा होगी
c.खुद के खिलाफ गवाही देने के लिए बाध्य नही किया जायेगा

अनुच्छेद 21: प्राण व दैहिक स्वतंत्रता यां जीवन जीने का अधिकार

अनुच्छेद 22: गिरफ्तारी के विरुद्ध सरंक्षण

a.गिरफ्तारी के कारण जानने का अधिकार
b.अपने अनुसार विधि सलाहकार चुनने का अधिकार
c.24 घंटे के अन्दर नजदीकी मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जायेगा
अनुच्छेद 23: बलात श्रम,सागडी प्रथा , बंधुआ मजदूरी व मानव व्यापर पर रोक
अनुच्छेद 24: बाल श्रम ( 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चो से कारखानों में कार्य करवाने पर प्रतिबन्ध
अनुच्छेद 25: किसी भी व्यक्ति को अपने धर्म को मानने उसके अनुरूप आचरण करने , उसका प्रचार प्रसार करने व अंतकरण की स्वतंत्रता होगी
अनुच्छेद 26: किसी भी व्यक्ति को धार्मिक संस्था स्थापित करने और उसका प्रबन्धन करने का अधिकार होगा
अनुच्छेद 27: किसी एक धर्म को बढ़ावा देने के लिए किसी भी व्यक्ति को धार्मिक कर देने के लिए बाध्य नही किया जायेगा
अनुच्छेद 28: किसी भी शैक्षणिक संस्थान में धार्मिक शिक्षा नही दी जाएगी
अनुच्छेद 29: अल्पसंख्यको के हितों की रक्षा उनकी भाषा ,लिपि , व संस्कृति को बचाए रखने का अधिकार
अनुच्छेद 30: सभी अल्पसंख्यकों को अपनी धार्मिक शिक्षण संस्थानों को खोलने व उनका सञ्चालन और प्रबन्धन करने का अधिकार होगा
अनुच्छेद 31 : सम्पति का अधिकार था 42वें संविधान संसोधन के तहत समाप्त कर दिया और विधिक अधिकार बना दिया
अनुच्छेद 31A

अनुच्छेद 31B

अनुच्छेद 31C

अनुच्छेद 32 संवैधानिक उपचारों का अधिकार न्यायायल को 5 प्रकार की रिट जारी करने का अधिकार
a.बंदी प्रत्यक्षीकरण -हेबियस कारपस ( उपस्थित किया जाये )
b.परमादेश -मांडामस (हम आदेश देते हैं
c.प्रतिषेद- प्रोहिबिशन (आपके अधिकार क्षेत्र में नही हैं )
d.उत्प्रेषण- सेरिसरी( निम्न न्यायालयों को आदेश
e.अधिकार पृछा -को वारंटो (किस अधिकार से

अनुच्छेद 33: सैन्य , पुलिस b IB के लिए संसद कानून बनाकर मूल अधिकारों में कमी कर सकती हैं

अनुच्छेद 34: मार्शल लॉ लग जाने पर मूल अधिकारों में हुई कमी को संसद कानून बनाकर क्षतिपूर्ति कर सकती हैं

अनुच्छेद 35: मूल अधिकारों के संदर्भ में कानून बनाने का अधिकार केवल संसद को हैं किसी भी विधान मंडल को नहीं हैं


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Wednesday 23 January 2019

बंगाल के गवर्नर 1757-1773 adhunik bharat ka itihas

January 23, 2019

बंगाल के गवर्नर 1757-1773

1757 में प्लासी के युद्ध से ही ब्रिटिश ईस्ट इंडिया की कंपनी का राजनैतिक हस्तक्षेप माना जाता हैं ,
1773 के रेगुलेटिंग एक्ट से पहले गवर्नर जनरल नही केवल गवर्नर कहलाता था और शासन बंगाल पर था तो बंगाल का गवर्नर कहलता था !
इसलिए हम 1757 से 1773 तक पढेगे, 1773 के रेगुलेटिंग एक्ट के तहत गवर्नर का स्थान गवर्नर जनरल ले लेता हैं , फिर 1833 के चार्टर एक्ट में यही बंगाल का गवर्नर जनरल भारत का गवर्नर जनरल कहलायेगा !

लॉर्ड क्लाइव(1757-1760),(1765-1767)

lord clive 

क्लाइव की समस्याएँ
राजनितिक समस्या:- जब क्लाइव दुबारा आया तब उसे पता चला कि पुराने गवर्नर वाँसीटार्ट ने अवध का राज्य मुगल बादशाह को वापस दे देने का वादा किया है!जब क्लाइव को यह पता चला तो उसने अवध के नवाब को प्रस्ताव भेजा  पचास लाख रूपए कंपनी को देना स्वीकार करे तो इलाहाबाद प्रांत को छोड़कर उसकी रियासत उसे वापस कर दी जाएगी।और उसके बाद इलाहाबाद मुगल बादशाह को देकर उसके बदले क्लाइव ने बंगाल की दीवानी माँगी

प्रशासकीय समस्या:- क्लाइव ने बंगाल पहुंचते ही समस्त सिविल और फौजी अफसरों कम्पनी के अधिकारीयों से एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर कराए, जिससे भेंट लेना प्रतिबंधित कर दिया गया ! भत्ते के संबंध में नए कानून बनाए थे इस कानून के अनुसार सैनिक अफसरों को बंगाल और बिहार में उसी समय भत्ता मिल सकता था जब वे छावनी से बाहर हों।इसके बाद अंग्रेजो ने विद्रोह कर दिया जिसे श्वेत विद्रोह कहा गया


क्लाइव के बारे में कथन
बर्क ने क्लाइव को “ बड़ी बड़ी नीवें रखने वाला कहा हैं”
प्रसीवल स्पीयर ने क्लाइव को “भविष्य का अग्रदूत कहा हैं “
क्लाइव के अंतिम दिन
इंग्लैंड जाने पर उनके ऊपर भ्रष्टाचार का मुकदमा चला, किंतु उससे वह बरी कर दिया गया
और अंतिम में इन्होने आत्म हत्या कर दी

वैनसिटार्ट (1760 – 1764)

क्लाइव को 1760 में वापस बुला लिया गया इसकी जगह बंगाल का गवर्नर हेनरी वैनसिटार्ट को बनाया गया
इसका कार्यकाल 1760 से 1764 तक रहा जिस बीच अक्टूबर 1764 में बक्सर का युद्ध हुआ था हेक्टर मुनरो vs मीर कासिम,शाहालम और ,सुजाऊदौला के बीच में
बक्सर के युद्ध के तुरंत बाद वाँसीटार्ट को पद से हटा दिया था और 1765 में वापस गवर्नर के पद पर लॉर्ड क्लाइव(1765-1767) आ गया !


1767 से 1769 तक वेरेलस्ट आता हैं
1769 से 1772 तक कार्टियर आता हैं


कार्टियर के समय आधुनिक भारत का प्रथम अकाल 1770 में पड़ा

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Tuesday 22 January 2019

पुरन्दर की संधि मिर्जा राजा जय सिंह vs शिवाजी

January 22, 2019

पुरन्दर की संधि मिर्जा राजा जय सिंह vs शिवाजी



मुग़ल शासक शाहजहाँ की मृत्यु के बाद दिल्ली का शासक औरंगजेब बनता हैं
औरंगजेब का समय 1659 -1707 ई.
औरंगजेब के समकालीन मराठा साम्राज्य के शासक छत्रपति शिवाजी थे
जो औरंगजेब की हिन्दू विरोधी नीतियों और मुगलों के प्रतिद्वंदी थे
औरंगजेब के दरबार में आमेर के राजा “ मिर्जा राजा जयसिंह” मनसबदार /सेनापति थे !
औरंगजेब ने मिर्ज़ा राजा जय सिंह को शिवाजी के विरुद्ध अधीनता स्वीकार करवाने के लिए अभियान में भेजा!
यह अभियान सितम्बर 1664 में मिर्ज़ा जय सिंह और दिलेर खां के नेतृत्व में जाता हैं !
लेकिन शिवाजी ने अधीनता स्वीकार न करते हुए युद्ध किया और हार नहीं मानी!
अंततः 2 महीने संघर्ष के बाद औरंगजेब की अधीनता स्वीकार करने के लिए
मिर्ज़ा राजा जय सिंह ने शिवाजी को राजी कर लिया और
1 जून 1665 को मिर्ज़ा राजा जय सिंह और शिवाजी के बीच एक संधि होती हैं इसे हि पुरंदर की संधि कहते हैं

पुरंदर की संधि की निम्न शर्ते थी:
शिवाजी के पास 35 दुर्ग थे उनमे से 23 दुर्ग मुगलों को छोंप दिए केवल 12 दुर्ग अपने पास रहे
संभाजी (जो शिवाजी के पुत्र थे ) को मुग़ल दरबार का मनसबदार बनाया जायेगा और उन्हें 5000 मनसब दिया जायेगा
ठीक इसके विपरीत शिवाजी की भी कुछ शर्ते थी
शिवाजी स्वयं मुग़ल दरबार में उपस्थित नही होंगे लेकिन अगर शिवाजी को आमंत्रित किया जाये तब उपस्थित होना पड़ेगा
दूसरी शर्त में शिवाजी ने कोंकण प्रदेश जो 4 लाख हूण का था ,बालाघात प्रदेश 5 लाख हूण का था और बीजापुर का इल्लाका
यह अगर दे देते हैं तो इसके बदले में बादशाह को 40 लाख हूण 13 किस्तों में दी जायेगी



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1858 का भारत शासन अधिनियम

January 22, 2019

1858 का भारत शासन अधिनियम

1857 की क्रांति के बाद यह महत्वपूर्ण अधिनियम था, इस अधिनियम को भारत के शासन को अच्छा बनाने वाला अधिनियम भी कहा जाता है !

इस अधिनियम में मुख्य रूप से 3 प्रावधान थे !


1.इस अधिनियम के तहत ईस्ट इंडिया कंपनी को समाप्त कर दिया और भारत का शासन सीधे महारानी विक्टोरिया के अधीन चला गया था !


2.गवर्नर जनरल का पद बदल कर उसकी जगह भारत का वायसराय का पद कर दिया गया और यह सरकार का प्रत्यक्ष प्रतिनिधि बन गया !और प्रथम वायसराय लार्ड केनिंग था !


3.इसी अधिनियम के तहत नियंत्रण बोर्ड (Board of Cantrol) और निदेशक मंडल (Board of Directors) इन दोनों को समाप्त कर दिया था अर्थात भारत में द्वैध शासन प्रणाली समाप्त कर दी थी !और इसकी जगह एक नया पद आया जिए भारत सचिव कहा जाता था , यह भारत सचिव ब्रिटिश मंत्रिमंडल का सदस्य होता था जिसकी सहायता के लिए 15 सदस्यीय भारतीय परिषद का गठन भी किया गया !



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Monday 21 January 2019

1853 का चार्टर अधिनियम

January 21, 2019 0

1853 का चार्टर अधिनियम

इस अधिनियम की मुख्य रूप से चार प्रावधान थे

1.इस अधिनियम के तहत जो भारत का गवर्नर जनरल था उसके विधायी और प्रशासनिक कार्य अलग-अलग कर दिए थे
  • विधायी अर्थात कानून बनाना!
  • प्रशासनिक मतलब कानून को चलाना!


2.भारत में विधान परिषद का गठन इसी अधिनियम के तहत माना जाता है इसमें छ सदस्य होते थे जिन्हें विधान पार्षद कहा जाता था और यह एक तरह से छोटी संसद की तरह कार्य करती थी !


3.इसी अधिनियम के तहत सिविल सेवकों की भर्ती एवं चयन हेतु खुली प्रतियोगिता व्यवस्था का शुभारंभ हुआ और इसके लिए 1854 में मैकाले समिति की नियुक्ति की गई !


4.इस अधिनियम के तहत भारतीयों को केंद्रीय विधान परिषद में स्थाई प्रतिनिधित्व मिला और इसमें जो सदस्य थे वह तो बंगाल से था एक मद्रास से था एक मुंबई और आगरा यहां चार प्रांतों से 4 सदस्य मनोनीत किए गए थे !


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1833 का चार्टर एक्ट

January 21, 2019 0

1833 का चार्टर एक्ट

भारत पर ब्रिटिशों के केंद्रीयकरण की दशा में यह अधिनियम निर्णायक था।इस अधिनियम में मुख्य रूप से 5 प्रावधान थे।

1.1833 के इस चार्टर एक्ट के तहत बंगाल के गवर्नर जनरल को भारत का गवर्नर जनरल बना दिया। जिसके पास सभी सैनिक व नागरिक शक्तियां थी तथा भारत के प्रथम गवर्नर जनरल लार्ड विलियम बैंटिग थें।


2.इसी एक्ट के तहत ईस्ट इंडिया कम्पनी से व्यापारिक अधिकार समाप्त करके उसको एक विशुद्व रूप से प्रशासनिक निकाय बना दिया। अर्थात 1833 से पहले कम्पनी के पास राजनैतिक अधिकार और व्यापारिक अधिकार दोनों थे!


3.1833 के इसी चार्टर के तहत 1773 में 4 सदस्यों की परिषद थी उनकी संख्या 1803 के एक्ट में 3 कर दी गयी लेकिन इस एक्ट में वापस उन सदस्यों की संख्या 4 कर दी गयी और चौथे सदस्य को विधि सदस्य के रूप में शामिल किया गया।


4.1833 के इसी एक्ट के तहत 1834 में लॉर्ड मैकाले कि अध्यक्षता में विधि आयोग का गठन किया गया।


5. 1833 के इसी एक्ट के तहत भारत के गवर्नर जनरल को पूरे ब्रिटिश भारत के लिए कानुन बनाने के असीमित अधिकार प्रदान कर दिये गये।


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