अनुच्छेद 1 : संघ व राज्य क्षेत्र :- India जो की भारत हैं राज्यों का संघ होगा ना की राज्यों का समूह
अनुच्छेद 2 : नए राज्यों का प्रवेश : भारत के राज्य क्षेत्र में नए राज्यों का प्रवेश अथवा विदेशी राज्य क्षेत्र को भारत में मिलाना
अनुच्छेद 3 : राज्यों के नाम , स्थान , सीमा , क्षेत्र में परिवर्तन
अनुच्छेद 4 : अनुच्छेद 3 व 4 में परिवर्तन करते समय अनुच्छेद 368 की प्रक्रिया से संसोधन नही करना होगा
अनुच्छेद 5 : संविधान निर्माण के समय भारत की नागरिकता
अनुच्छेद 6 : पाकिस्तान से भारत आने वाले व्यक्ति की नागरिकता
अनुच्छेद 7 : 1 मार्च 1947 के बाद पाकिस्तान गया हो और वापस भारत में रहने के बाद नागरिकता
अनुच्छेद 8 : विदेशो में रह रहे भारतीय मूल के नागरिकों की नागरिकता के संबध में
अनुच्छेद 9 : अपनी इच्छा से विदेशी राज्य की नागरिकता अर्जित करने पर भारत से समाप्त नागरिकता
अनुच्छेद 10 : कब कब नागरिकता के अधिकार बने रहेंगे
अनुच्छेद 11 : संसद को अधिकार नागरिकता के संबध में कानून बनाने का
अनुच्छेद 12 : राज्य शब्द को परिभाषित किया गया हैं
अनुच्छेद 13 : विधि शब्द परिभाषित और मूल अधिकारों के अल्पीकरण करने वाली विधियाँ
अनुच्छेद 14 : विधि के समक्ष समानता विधियों का सामान सरंक्षण
अनुच्छेद 15 : जाती ,मूलवंश, धर्म . रंग और लिंग के आधार पर भेदभाव निषेध
अनुच्छेद 16 : लोक नियोजन के विषय में अवसर की समानता
अनुच्छेद 17 : अश्प्र्यता का अंत
अनुच्छेद 18 : उपाधियों का अंत
अनुच्छेद 19 : 6 प्रकार की स्वतंत्रता
a.भाषण व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
b.सभा करने की स्वतंत्रता
c.संघ व संगठन बनाने की
d.भारत में कहीं पर घुमने फिरने की स्वतंत्रता
eभारत में कहीं पर रहने व निवास करने की स्वतंत्रता
f.भारत के राज्य क्षेत्र में कहीं पर व्यापर करने की स्वतंत्रता
अनुच्छेद 20 :अपराध व दोष सिद्धि के सम्बद्ध में सरंक्षण
a.अपराध के समय जो कानून हो उसी कानून के तहत सजा होगी
b.एक ही अपराध के लिए एक ही सजा होगी
c.खुद के खिलाफ गवाही देने के लिए बाध्य नही किया जायेगा
अनुच्छेद 21: प्राण व दैहिक स्वतंत्रता यां जीवन जीने का अधिकार
अनुच्छेद 22: गिरफ्तारी के विरुद्ध सरंक्षण
a.गिरफ्तारी के कारण जानने का अधिकार
b.अपने अनुसार विधि सलाहकार चुनने का अधिकार
c.24 घंटे के अन्दर नजदीकी मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जायेगा
अनुच्छेद 23: बलात श्रम,सागडी प्रथा , बंधुआ मजदूरी व मानव व्यापर पर रोक
अनुच्छेद 24: बाल श्रम ( 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चो से कारखानों में कार्य करवाने पर प्रतिबन्ध
अनुच्छेद 25: किसी भी व्यक्ति को अपने धर्म को मानने उसके अनुरूप आचरण करने , उसका प्रचार प्रसार करने व अंतकरण की स्वतंत्रता होगी
अनुच्छेद 26: किसी भी व्यक्ति को धार्मिक संस्था स्थापित करने और उसका प्रबन्धन करने का अधिकार होगा
अनुच्छेद 27: किसी एक धर्म को बढ़ावा देने के लिए किसी भी व्यक्ति को धार्मिक कर देने के लिए बाध्य नही किया जायेगा
अनुच्छेद 28: किसी भी शैक्षणिक संस्थान में धार्मिक शिक्षा नही दी जाएगी
अनुच्छेद 29: अल्पसंख्यको के हितों की रक्षा उनकी भाषा ,लिपि , व संस्कृति को बचाए रखने का अधिकार
अनुच्छेद 30: सभी अल्पसंख्यकों को अपनी धार्मिक शिक्षण संस्थानों को खोलने व उनका सञ्चालन और प्रबन्धन करने का अधिकार होगा
अनुच्छेद 31 : सम्पति का अधिकार था 42वें संविधान संसोधन के तहत समाप्त कर दिया और विधिक अधिकार बना दिया
अनुच्छेद 31A
अनुच्छेद 31B
अनुच्छेद 31C
अनुच्छेद 32 संवैधानिक उपचारों का अधिकार न्यायायल को 5 प्रकार की रिट जारी करने का अधिकार
a.बंदी प्रत्यक्षीकरण -हेबियस कारपस ( उपस्थित किया जाये )
b.परमादेश -मांडामस (हम आदेश देते हैं
c.प्रतिषेद- प्रोहिबिशन (आपके अधिकार क्षेत्र में नही हैं )
d.उत्प्रेषण- सेरिसरी( निम्न न्यायालयों को आदेश
e.अधिकार पृछा -को वारंटो (किस अधिकार से
अनुच्छेद 33: सैन्य , पुलिस b IB के लिए संसद कानून बनाकर मूल अधिकारों में कमी कर सकती हैं
अनुच्छेद 34: मार्शल लॉ लग जाने पर मूल अधिकारों में हुई कमी को संसद कानून बनाकर क्षतिपूर्ति कर सकती हैं
अनुच्छेद 35: मूल अधिकारों के संदर्भ में कानून बनाने का अधिकार केवल संसद को हैं किसी भी विधान मंडल को नहीं हैं