पुरन्दर की संधि मिर्जा राजा जय सिंह vs शिवाजी - Govt Exam GK & GS

RPSC GURU -NCERT Books,Education,Notes Click Here
top-bannner2-1

Tuesday, 22 January 2019

पुरन्दर की संधि मिर्जा राजा जय सिंह vs शिवाजी

पुरन्दर की संधि मिर्जा राजा जय सिंह vs शिवाजी


purandar+ki+sandhi

मुग़ल शासक शाहजहाँ की मृत्यु के बाद दिल्ली का शासक औरंगजेब बनता हैं
औरंगजेब का समय 1659 -1707 ई.
औरंगजेब के समकालीन मराठा साम्राज्य के शासक छत्रपति शिवाजी थे
जो औरंगजेब की हिन्दू विरोधी नीतियों और मुगलों के प्रतिद्वंदी थे
औरंगजेब के दरबार में आमेर के राजा “ मिर्जा राजा जयसिंह” मनसबदार /सेनापति थे !
औरंगजेब ने मिर्ज़ा राजा जय सिंह को शिवाजी के विरुद्ध अधीनता स्वीकार करवाने के लिए अभियान में भेजा!
यह अभियान सितम्बर 1664 में मिर्ज़ा जय सिंह और दिलेर खां के नेतृत्व में जाता हैं !
लेकिन शिवाजी ने अधीनता स्वीकार न करते हुए युद्ध किया और हार नहीं मानी!
अंततः 2 महीने संघर्ष के बाद औरंगजेब की अधीनता स्वीकार करने के लिए
मिर्ज़ा राजा जय सिंह ने शिवाजी को राजी कर लिया और
1 जून 1665 को मिर्ज़ा राजा जय सिंह और शिवाजी के बीच एक संधि होती हैं इसे हि पुरंदर की संधि कहते हैं

पुरंदर की संधि की निम्न शर्ते थी:
शिवाजी के पास 35 दुर्ग थे उनमे से 23 दुर्ग मुगलों को छोंप दिए केवल 12 दुर्ग अपने पास रहे
संभाजी (जो शिवाजी के पुत्र थे ) को मुग़ल दरबार का मनसबदार बनाया जायेगा और उन्हें 5000 मनसब दिया जायेगा
ठीक इसके विपरीत शिवाजी की भी कुछ शर्ते थी
शिवाजी स्वयं मुग़ल दरबार में उपस्थित नही होंगे लेकिन अगर शिवाजी को आमंत्रित किया जाये तब उपस्थित होना पड़ेगा
दूसरी शर्त में शिवाजी ने कोंकण प्रदेश जो 4 लाख हूण का था ,बालाघात प्रदेश 5 लाख हूण का था और बीजापुर का इल्लाका
यह अगर दे देते हैं तो इसके बदले में बादशाह को 40 लाख हूण 13 किस्तों में दी जायेगी



Post Top Ad