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Monday 21 January 2019

1833 का चार्टर एक्ट

1833 का चार्टर एक्ट

भारत पर ब्रिटिशों के केंद्रीयकरण की दशा में यह अधिनियम निर्णायक था।इस अधिनियम में मुख्य रूप से 5 प्रावधान थे।

1.1833 के इस चार्टर एक्ट के तहत बंगाल के गवर्नर जनरल को भारत का गवर्नर जनरल बना दिया। जिसके पास सभी सैनिक व नागरिक शक्तियां थी तथा भारत के प्रथम गवर्नर जनरल लार्ड विलियम बैंटिग थें।


2.इसी एक्ट के तहत ईस्ट इंडिया कम्पनी से व्यापारिक अधिकार समाप्त करके उसको एक विशुद्व रूप से प्रशासनिक निकाय बना दिया। अर्थात 1833 से पहले कम्पनी के पास राजनैतिक अधिकार और व्यापारिक अधिकार दोनों थे!


3.1833 के इसी चार्टर के तहत 1773 में 4 सदस्यों की परिषद थी उनकी संख्या 1803 के एक्ट में 3 कर दी गयी लेकिन इस एक्ट में वापस उन सदस्यों की संख्या 4 कर दी गयी और चौथे सदस्य को विधि सदस्य के रूप में शामिल किया गया।


4.1833 के इसी एक्ट के तहत 1834 में लॉर्ड मैकाले कि अध्यक्षता में विधि आयोग का गठन किया गया।


5. 1833 के इसी एक्ट के तहत भारत के गवर्नर जनरल को पूरे ब्रिटिश भारत के लिए कानुन बनाने के असीमित अधिकार प्रदान कर दिये गये।


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