Adhunik Bharat ka itihas यूरोपीय कम्पनियों का आगमन पुर्तगीज(पुर्तगाली) - Govt Exam GK & GS

RPSC GURU -NCERT Books,Education,Notes Click Here
top-bannner2-1

Monday, 28 January 2019

Adhunik Bharat ka itihas यूरोपीय कम्पनियों का आगमन पुर्तगीज(पुर्तगाली)

यूरोपीय कम्पनियों का आगमन पुर्तगीज(पुर्तगाली) adhunik Bharat ka itihas


adhunik+bharat+ka+itihas

मुख्य मार्ग : 1 फारस की खाड़ी से इराक -} तुर्की -} भूमध्य सागर -} वेनिस (इटली ) स्विज़रलैंड (जेनेवा)
2. लाल सागर -} मिस्र -} भूमध्यसागर –} वेनिस (इटली ) स्विज़रलैंड (जेनेवा)
3.उतरी पच्छिमी सीमा प्रान्त -} रूस -} बाल्टिक सागर -} जर्मनी और यूरोपीय देश

व्यापर की स्थिति
एशियाई व्यापर अरबवासियों के हाथो में
यूरोपीय व्यापर इतालियो के हाथो में था

1450 के बाद तुर्कों का कुस्तुन्तुनिया पर अधिकार हो गया था तो पूर्व में जाने के लिए जो फारस की खाड़ी और लाल सागर वाले मार्ग थे यूरोपियो के लिए बंद हो गए थे इसलिए यूरोप के व्यापरियों को जरुरत थी नए मार्ग की जो सुरक्षित हो उस समय स्पेन और पुर्तगाल नए नए राष्ट्र बने थे इन्होने विज्ञानं तकनिकी में विकास किया
तत्पशत 1494 में कोलम्बस नाम के स्पेन व्यापारी ने भारत को खोजने के चक्कर में अमेरिका को खोज निकाला
फिर 1498 में कोवास्कोडिगामा ने उतमासा अंतरिम का चक्कर लगाते हुए भारत को खोजा
यूरोप वासियों का आने का कारण
गर्म मसालों का व्यापर करना और आर्थिक लाभ लेना
और उस समय पूर्वी राष्ट्र बहुत धनि होते थे खासकर भारत और इंडोनेसिया

यूरोपीय कम्पनियों का आगमन पुर्तगीज(पुर्तगाली)

पुर्तगीज सर्वप्रथम भारत आये
पुर्तगीज उतमासा अंतरीप से होते हुए
पुर्तगीज अब्दुल मनिद की सहायता से भारत आये
पुर्तगीज 17 मई 1498 ई को केरल के कालीकट बन्दरगाह
प्रथम व्यक्ति वास्कोडिगामा भारत आया
जमोरिन द्वारा वास्कोडिगामा का स्वागत किया गया
वास्कोडिगामा प्रथम यात्रा के दौरान मसाले और जड़ी बूटिया ले गया
इस यात्रा द्वारा वास्कोडिगामा को खर्च निकाल कर 60 गुना लाभ हुआ
इस व्यापार के बाद लिस्बन पुरे यूरोपीय व्यापार का केंद्र बन गया था
उस समय पुर्तगाल का शासक मैन्युअल प्रथम था जिसने “वाणिज्य के प्रधान” की उपाधि धारण की
द्वितीय पुर्तगाली अभियान 1500 ई में “पेड्रो अल्व्रेज” के नेतृत्व में
1502 में वास्कोडिगामा पुनः भारत आया
1503 में पुर्तगालियो ने कोचीन में पहली फैक्ट्री लगाई
1505 में कनूर में दूसरी फैक्ट्री
1505 में फ्रांसिस्को डी अल्मीडा(1505-09) प्रथम पुर्तगाली गवर्नर भारत आया
अल्मीडा की निति “ब्लू वाटर पालिसी”
1509 में अल्फ़ान्सो डी अलबुकर्क(1509-15) दूसरा गवर्नर बन कर आया इसी के समय पुर्तगालियो ने गोवा जीता 1510 में
1515 तक पुर्तगाली भारत की सबसे सबल जल शक्ति बन चुके थे we खुद को समुद्र के स्वामी कहते थे
अर्थात उनके पास सामुद्रिक साम्राज्य था जिसे वे “एस्तादो द इंडिया“ कहते थे
1530 में इन्होने अपना कार्यालय कोचीन से गोवा स्थान्तरित क्र दिया तथा गोवा पुर्तगालो की स्थाई राजधानी बन गया इस समय गवर्नर था नीनो डी कुन्हा (1529-38)
भारत के पूर्वी तट पर अधिकार 1534-35 में ही हुआ कुन्हा के समय
1571 में पुर्तगाली एशियाई साम्राज्य के तीन कमान थे
1.अफ्रीका समुद्र पर –मोजाम्बिक के गवर्नर की नियुक्ति
2.भारत और फारस की खाड़ी प्रदेशो के लिए गोवा के गवर्नर की
3.दक्षिण पूर्वी एशियाई देशो के लिए -मल्लका के गवर्नर को सोंपा
पुर्तगालियो का मुख्य हथियार परमिट था
अर्थात समुद्र के रस्ते किसी व्यापारी को गुजरना पड़ता तो पुर्तगालो से परमिट लेना पड़ता था एशिया के व्यापरी बाध्य थे परमिट लेने में
मुगल बादशाह खुद भी सुरत से मोरवा जाने के लिए परमिट लेते थे

पुर्तगाली पतन के कारण

धार्मिक असहिषणुता –भारतीय शक्तियों से शत्रुता
दूसरा कारण चुपके चुपके व्यापर करना
ब्राजील का पता लग गया
और मुख्य कारण दूसरी यूरोपीय कम्पनिया


पुर्तगाली अधिपत्य के परिणाम

धार्मिक परिणाम : धर्म परिवर्तन को बढ़ावा ,गोवा में मन्दिर नष्ट किये ,तथा ईसाई धर्म न्यायालय की स्थापना
आर्थिक परिणाम: जापान के साथ व्यापर शुरू ,पुर्तगीज अमेरिका से तम्बाकू ,आलू और मक्का लाये ,
सामाजिक परिणाम : भारत में पप्रिंटिंग प्रेस (छपाई) की शुरुआत

watch this Video





Post Top Ad