भारत की राजव्यवस्था ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और 1773 का रेग्युलेटिंग एक्ट - Govt Exam GK & GS

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Sunday, 20 January 2019

भारत की राजव्यवस्था ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और 1773 का रेग्युलेटिंग एक्ट

भारत की राजव्यवस्था ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

1757 के प्लासी के युद्व,1764 के बक्सर के युद्व और 1765 की इलाहबाद की संधि के बाद ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी का भारत पर व्यापारिक अधिकार के साथ-साथ राजनैतिक अधिकार भी स्थापित हो गया। और कम्पनी ब्रिटिश सरकार पर हावी होने लगी , हावी होते देख ब्रिटिश सरकार ने कम्पनी पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए कई एक्ट बनाये ।

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1773 का रेग्युलेटिंग एक्ट

प्रशासनिक और राजनैतिक नियंत्रण के लिए 1773 का एक्ट ब्रिटिश सरकार का पहला प्रयास था।
1773 के रेग्युलेटिंग एक्ट को नियामक अधिनियम भी कहते हैं।
 इस अधिनियम में 5 प्रावधान थे।
1.बंगाल के गवर्नर को बंगाल का गवर्नर जनरल बना दिया तथा प्रथम गवर्नर जनरल वॉरेन हैस्टिंग्स हुआ,और इसकी सहायता के लिए 4 सदस्यों की एक परिषद का भी गठन किया गया।


2.मद्रास और बम्बई प्रेसीडेन्सी के गवर्नरों को बंगाल के गवर्नर जनरल के अधीन कर दिया।पहले तीनों प्रेसीडेन्सीयों के गवर्नरों का अलग अलग अपना क्षेत्राधिकार होता था।


3.उच्चतम न्यायालय की स्थापना इसी 1773 के रेग्युलेटिंग एक्ट के तहत 1774 में कलकता में की गयी जिसमें 1 मुख्य न्यायधीश और तीन न्यायाधीशों का प्रावधान था और इसके प्रथम न्यायाधीश एलिजा इम्पै थी


4.ब्रिटिश कर्मचारियों का निजी व्यापार करना उपहार लेना यह सब इस एक्ट के तहत प्रतिबंधित कर दिया।


5.ब्रिटिश सरकार द्वारा कोर्ट ऑफ़ डायरेक्टर्स को नियुक्त किया जो कम्पनी के कार्यो की जानकारी ब्रिटिश सरकार को देते थे ,इसके तहत कम्पनी पर नियंत्रण कठोर हो गया!
इस प्रकार 1773 के रेग्युलेंटिग में निम्न प्रावधान थे इस एक्ट की कमियों को दूर करने के लिए 1781 में एक्ट ऑफ़ सेटलमेन्ट लाया गया।

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